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Haryana News: सट्टेबाजी में लाखों हार गए हवलदार ने दोस्त को बंधक बनाकर 2 करोड़ की फिरौती मांगी!

Haryana News: हरियाणा के करनाल जिले के गांव खेदीनरू के संदीप नरवाल के अपहरणकर्ताओं का रिमांड पूरा होने के बाद सीआईए-2 ने शुक्रवार को तीनों अपराधियों को जेल भेज दिया।

सट्टेबाजी में हारने से बना साजिशकर्ता

मधुबन में तैनात हवलदार नरेंद्र, जो अपहरण में शामिल था, ने ऑनलाइन सट्टेबाजी में लाखों रुपये गंवा दिए थे। इस कर्ज को चुकाने के लिए उसने अपने दो अपराधी दोस्तों के साथ साजिश रची। नरेंद्र पिछले तीन सालों से संदीप को जानता था और उसे आसानी से निशाना बनाया।

ऐसे रची गई साजिश

हिसार के गांव कपादरो के रहने वाले और मधुबन में तैनात हवलदार नरेंद्र ने सोनीपत के गांव हलालपुर निवासी सुरेंद्र और भैंसवाल गांव के अक्षय के साथ मिलकर 4 जनवरी की दोपहर को संदीप नरवाल का अपहरण किया।

इसके बाद, संदीप के मोबाइल से इंटरनेट मीडिया कॉल करके उसके पिता से 2 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। पुलिस के पीछे पड़ने पर अपराधी इधर-उधर भागते रहे और उनकी गाड़ी गोहाना के गांव बिचपड़ी के पास पलट गई।

ऑनलाइन सट्टेबाजी में गंवाए लाखों रुपये

पुलिस जांच में सामने आया कि नरेंद्र ऑनलाइन सट्टेबाजी करता था और उसमें लाखों रुपये हार चुका था। उसने यह रकम अपने जान-पहचान के लोगों से उधार ली थी। अब उसके पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं थे।

नरेंद्र की दोस्ती सुरेंद्र और अक्षय से तीन साल पहले हुई थी। नरेंद्र ने दोनों को अपहरण के लिए तैयार किया। अपराधियों ने 60,000 रुपये में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक तस्कर से दो पिस्टल और चार कारतूस खरीदे थे।

सट्टेबाजी में लाखों हार गए हवलदार ने दोस्त को बंधक बनाकर 2 करोड़ की फिरौती मांगी!

घटना से पहले बदला गाड़ी का नंबर प्लेट

संदीप को जिस गाड़ी से अगवा किया गया, वह गाड़ी अपराधी अक्षय के नाम पर रजिस्टर्ड है। घटना को अंजाम देने से पहले अपराधियों ने गाड़ी की नंबर प्लेट बदल दी।

अपराधियों ने सबसे पहले जिंद पहुंचकर संदीप का सिम अपने मोबाइल में डाला और उसके पिता को फिरौती के लिए कॉल किया। दो करोड़ रुपये से शुरू हुई फिरौती की मांग 80 लाख रुपये तक आ गई थी।

संदीप को निशाना क्यों बनाया गया?

नरेंद्र ने दो साल पहले संदीप नरवाल से संपर्क किया था, जब वह अपने भाई को अमेरिका भेजने के लिए बात कर रहा था। उस समय अमेरिका भेजने का खर्चा 40 लाख रुपये बताया गया था, लेकिन नरेंद्र पैसे का इंतजाम नहीं कर सका।

नरेंद्र ने देखा कि संदीप ने इमिग्रेशन एजेंट के रूप में काम करके बहुत कम समय में काफी पैसा कमा लिया है। उसे लगा कि संदीप का अपहरण करके वह बड़ी रकम वसूल सकता है।

अपहरण से पहले संदीप के घर पर चाय पीने गया था नरेंद्र

नरेंद्र 1 जनवरी को खेदीनरू गांव में संदीप के घर गया था। संदीप के परिवार के लोग नरेंद्र को अच्छी तरह जानते हैं। उस दिन संदीप घर पर नहीं था। नरेंद्र ने संदीप के पिता और पत्नी से काफी देर तक बातचीत की और चाय पी।

नरेंद्र को पता था कि संदीप अपनी बेटी को कोचिंग छोड़ने के लिए दोपहर 1 से 1:30 बजे के बीच बस स्टैंड आएगा। अपराधियों ने इसी समय का चुनाव संदीप को अगवा करने के लिए किया।

पुलिस ने समय पर बचाया

पुलिस ने तकनीकी जांच और बैंक ट्रांजैक्शन के आधार पर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया और संदीप को सुरक्षित बचा लिया। पुलिस ने अपराधियों से दो मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड और अन्य सामग्री बरामद की।

पुलिस अब उन लोगों से पूछताछ कर रही है, जिन्होंने अपराधियों की मदद की थी। जांच में सामने आया है कि अपराधियों ने फिरौती की रकम को अलग-अलग खातों में बांटने की योजना बनाई थी।

अपराधियों का पूरा गिरोह पुलिस की रडार पर

पुलिस अब उन अन्य लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रही है, जो इस गिरोह में शामिल हो सकते हैं। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि सट्टेबाजी के जाल में फंसे लोग किस हद तक जा सकते हैं।

संदीप की जान बचाने में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और अपराधियों को समय पर गिरफ्तार कर लिया। यह घटना समाज में अपराध और सट्टेबाजी के बढ़ते प्रभाव पर चिंता का विषय है।

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